बच्चों की एक हिंदी विज्ञान पत्रिका के लिए मैं पक्षियों पर एक श्रृंखला कर रहा हूँ. मित्रों और बहुत से बच्चों का आग्रह था कि इसे 'ब्लॉग' का रूप भी दिया जाए. इसी की पूर्ति में प्रस्तुत है पक्षियों की अनोखी दुनिया की ताज़ा कड़ी जो शायद बच्चों के अलावा बड़ों को भी पसंद आये!
जितेन्द्र भाटिया
पंखों की कहानी -- यानी अंडे का 'फंडा'!
बच्चों और बड़ों की एक लोकप्रिय अनबूझ पहेली है कि 'पहले मुर्गी आयी या अंडा?' और इसी से जुड़ा दूसरा सवाल यह हो सकता है कि इन दोनों के आने से पहले इस दुनिया में क्या था?
हमारे लक्कड़ दादा लंगूर महाशय! |
वैज्ञानिक डार्विन का मानना है कि इस दुनिया में हर जीवित जीव अपने पहले के किसी जीव से विकसित होकर धरती पर आया है. जीवों के इस विकास में लाखों वर्ष लग गए. डार्विन के इसी सिद्धांत से बंदरों को मनुष्य का पूर्वज माना गया है. माना जाता है कि पक्षियों का जन्म और उनका विकास भी इसी तरह पूर्व प्रजाति के किसी पक्षी से हुआ है. पत्थरों में दबे जीवाश्मों (fossils) से इस बात के कई प्रमाण मिलते हैं. कभी कभी धरती से मिलने वाली हड्डियों से भी इन प्राग् ऐतिहासिक प्रजातियों का पता चलता है. इन जीवाश्मों और हड्डियों की मदद से वैज्ञानिक प्रजातियों की उम्र और इनके जीवनकाल का अंदाजा लगाते हैं.
कहा जाता है कि दुनिया के पहले दैत्याकार जीव डायनासोर (dinosaur) आज से कोई 2000 लाख वर्ष पहले जुरासिक युग में धरती पर आये. इन्हीं में से एक मांस भक्षी छोटे आकार की डायनासोर प्रजाति 'थेरोपोड' का विकास आज से 1500 लाख साल पहले हुआ. माना जाता है कि इसी 'थेरोपोड' से आगे चलकर धीरे-धीरे कई लाखों वर्षों में पक्षियों ने अपना रूप लिया.
दिलचस्प बात यह है कि जुरासिक युग के इन डायनासोर जीवों में थेरोपोड के अलावा किसी भी डायनासोर की अगली पीढ़ियां अब दुनिया में बाकी नहीं हैं! बाकी डायनासोर जीवों की तरह थेरोपोड के भी दाँत थे. लेकिन हज़ारों सालों के विकास के बाद पक्षियों के दाँत जाते रहे और इनके स्थान पर चोंच विकसित हुई जो पक्षियों को अपना भोजन ढूंढने और पकड़ने में सहायता देती है. ज़मीन हो या पानी, रेत हो या दलदल, अपनी अलग आकार की चोंचों से पक्षी हर जगह अपना भोजन ढूंढ ही लेते हैं.
चोंच के अलावा भी पक्षियों में कई गुण मिलते है, जो एक तरह से उनकी पहचान हैं! दो टांगें, गर्म खून, रीढ़ की हड्डी, प्रजनन के लिए अंडे देना और इन सबसे ऊपर- उड़ने के लिए दो आश्चर्यजनक जादुई पंख! छोटे नन्हे शक्करखोरे से लेकर विशालकाय शुतुरमुर्ग, सबमें तुम्हें यह पहचान मिलेगी. वैज्ञानिक शब्दावली में सभी पक्षियों को एक नाम दिया गया है-- एवीएल aviale. इस अंग्रेज़ी नाम का सम्बन्ध उड़ने से है. लेकिन सभी पक्षी उड़ते हों, ऐसा नहीं है. इनमें अंतर दिखाने के लिए वैज्ञानिकों ने वर्तमान युग में पक्षियों को दो बड़ी जातियों में बांटा है- 'न उड़ने वाले' --neomithes और बाकी के सारे 'उड़ने वाले'-- neognathae.
दुनिया में पक्षियों की कोई पचास ऐसी प्रजातियां हैं जिनके डैने नहीं होते, या फिर होते हैं तो ऐसे जिनसे ये हवा में छलांग तो लगा सकते हैं पर उड़ नहीं सकते. लेकिन इस एक अंतर को छोड़कर उनमें बाकी गुण दूसरे पक्षियों जैसे ही होते हैं. और इसीलिये इन्हें पक्षी ही माना जाता है. न्यूज़ीलैंड में पाया जाने वाला 'कीवी' ऐसा ही एक डैना रहित पक्षी है जिसके अंडे का आकार काफी बड़ा होता है.
अंटार्कटिका के ठन्डे प्रदेश में पाये जाने वाले पेंगुइन पक्षी भी उड़ नहीं सकते. डैने की जगह उनका एक चप्पू नुमा flapper होता है जिसे वे पानी में तैरते समय चप्पू की तरह इस्तेमाल करते हैं. अफ्रीका में पाया जाने वाला शुतुरमुर्ग दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी है जिसके पंख उड़ने की जगह बहुत तेज़ दौड़ने के काम आते हैं. कई देशों में शुतुरमुर्ग को भी मुर्गियों की तरह बड़े बड़े बाड़ों में अंडों और मांस के लिए पाला जाता है.
बस इन गिने चुने 'न उड़ने वाले' पक्षियों को छोड़कर बाकी सारे पक्षी अपने पंखों के सहारे उड़ सकते हैं. पक्षियों के ये पंख भी कई आकार के होते हैं. इनके सहारे ये आकाश में अलग अलग ऊंचाइयों पर उड़ते हैं. कुछ पक्षियों के मज़बूत डैने लम्बी उड़ानों के लिए उपयुक्त होते हैं. गिद्ध और उकाब अपने चौड़े आकार के डैनों के सहारे बहुत ऊँचाई पर हवा में तैरते दिखाई देते हैं.
इनके विपरीत मोर और तीतर जैसे पक्षी अपना अधिकाँश समय ज़मीन पर गुज़ारते हैं. इनके पंख थोड़े समय के लिए कुछ ऊँचाई तक उड़ तो सकते हैं पर अधिक समय तक नहीं.
इसके विपरीत अबाबील-पतासी सारा दिन आकाश में उड़ती रहती हैं. इनके हल्के पंख इन्हें हवा में लगातार चक्कर काटने में मदद करते हैं. महासागर के कुछ पक्षी तो लगातार पानी के ऊपर फैले आकाश में ही सारा जीवन गुज़ारते हैं और उनमें से कुछ तो उड़ते-उड़ते ही अपनी नींद भी पूरी कर लेते हैं. इन्हीं जादुई पंखों के सहारे बहुत से पक्षी हर साल दो बार लम्बी उड़ानें भी भरते हैं. पक्षियों की इन लम्बी हवाई यात्राओं की आश्चर्यजनक कहानियाँ हम आगे बताएँगे!
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कहा जाता है कि दुनिया के पहले दैत्याकार जीव डायनासोर (dinosaur) आज से कोई 2000 लाख वर्ष पहले जुरासिक युग में धरती पर आये. इन्हीं में से एक मांस भक्षी छोटे आकार की डायनासोर प्रजाति 'थेरोपोड' का विकास आज से 1500 लाख साल पहले हुआ. माना जाता है कि इसी 'थेरोपोड' से आगे चलकर धीरे-धीरे कई लाखों वर्षों में पक्षियों ने अपना रूप लिया.
म्यूजियम में थेरोपोड डायनासोर का कंकाल |
पोखर में चोंच से कीड़े पकड़ता छोटा गुदरा Bar Tailed Godwit (Limosa lapponica) |
कीवी पक्षी (Apteryx )और उसका अंडा |
पेंगुइन पक्षी |
मादा शुतुरमुर्ग (Struthio camelus) |
हवा में उड़ता काला गिद्ध (Cinereous Vulture) (Aegypius monachus) |
तीतर के इक पीछे तीतर (Grey Francolin) (Francolinus pondicerianus) |
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