Monday, July 2, 2018

(Part 11) प्यारी मैना!....मैं, ना, तुम! (Mynas & Starlings)


मुझे ख़ुशी  है  कि इस  क्रम  की  पहली  दस कड़ियाँ  बच्चों  और  बड़ों  द्वारा  इतनी  पसंद की  गयी! प्रस्तुत  है  इसी क्रम  की  यह  ग्यारहवीं  कड़ी , इस उम्मीद  के साथ  कि इसे भी  आप  उतने  ही  उत्साह से  पढ़ेंगे  !

जितेन्द्र भाटिया 



प्यारी मैना! 'मैं ना!!' ....तुम!!! 

हमारे घर-पड़ोस में कौए के बाद जिस पक्षी के छोटे छोटे झुण्ड या जोड़े तुम्हें आसानी से दिख जाएंगे, वह है घरेलू देसी मैना! आँगन में शोर मचाती, सुबह तड़के से ही यहाँ- वहाँ के दाने बटोरती, रात के भोजन के टुकड़े या कीड़े-मकोड़े ढूंढती, गले से कई तरह की आवाजें निकालती और फिर परिचित ध्वनि के साथ फुर्र से उड़ जाती यह मैना हमारे जीवन के कितनी करीब है. रात में डालों पर सोने से पहले सारी मैनाएँ एक साथ मिलकर जो शोर मचाती हैं उसके लिए हिंदी में एक सुन्दर शब्द है-- कलरव! शाम के समय सूरज के ढलने के साथ इन पक्षियों का कलरव तुमने कभी न कभी ज़रूर सुना होगा. गले से अलग अलग आवाजें निकालने के कारण ही हमारी कहानियों में अक्सर मैना का ज़िक्र तोते के साथ आता है, हालांकि तोते और मैना की दोस्ती तुमने शायद ही कभी देखी हो! बल्कि बगीचे में यदि बाहर से तोतों का दल आ जाये तो मैनाएँ उन्हें वहां से उड़ाने के प्रयास में लग जायेंगी! दूसरे कई पक्षियों की तरह मैना भी अपने इलाके की रखवाली बखूबी करती हैं और यदि वहां कोई दरिंदा पक्षी या जानवर आ जाये तो ये शोर मचा-मचाकर सभी को आगाह कर देंगी! 

देसी मैना  थाईलैंड में!

देसी मैना के वैज्ञानिक नाम (common myna) (Acridotheres tristis) में tristis का latin भाषा में  अर्थ होता है 'उदास' या 'दुखी' हालांकि हमारी सदा चहकती प्यारी मैना में ये दोनों ही गुण तुम्हें नहीं मिलेंगे! पता नहीं पुरातन वैज्ञानिकों ने इसके लिए यह नाम क्यों चुना! बल्कि अपने आक्रामक स्वभाव और दुनिया में तेज़ी से बढ़ती संख्या के कारण तो वैज्ञानिक अब मैना को कई स्थानों पर दूसरे पक्षियों के लिए ख़तरा  समझने लगे हैं. दुनिया के सारे पक्षी अपनी अपनी ज़मीन और आकाश पर भोजन ढूंढते हैं. वहाँ यदि किसी एक पक्षी की संख्या बढ़ती चली  जाए  तो दूसरों के लिए दाना पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा न! हिन्द महासागर के बहुत से द्वीपों में एक डेढ़ शताब्दी पहले देसी मैना नहीं पायी जाती थी. उदाहरण के लिए seychelles द्वीप!  यहाँ आज तक कौए भी नहीं हैं. लेकिन कुछ वर्ष पहले शायद गलती से मनुष्य के साथ यहाँ मैना आ गयी थी. अब यहाँ इसकी संख्या इतनी बढ़ गयी है कि इसे हर जगह देखा जा सकता है और इसके आने से दूसरी स्थानीय पक्षी प्रजातियाँ संकट में पड़ रही हैं.

पिछली कड़ियों में हमने तुम्हें कौए के पूरे परिवार से मिलाया था. तो आओ अब हम देसी मैना के निकट रिश्तेदारों से तुम्हारी पहचान करवा दें! 

शहरों के पास ग्रामीण और जंगली इलाकों में तुम्हें देसी मैनाओं के बीच या उनके आस पास उनकी जंगली बहन jungle myna (acridotheres fuscus) मिल जायेगी. यह उनसे कुछ अधिक सलेटी गाढ़े रंग की है और तुम इसकी चोंच के ऊपर उभरे बालों के गुच्छे से इसे आसानी से पहचान सकते हो. स्वभाव से शर्मीली जंगल मैना इंसानों से थोड़ा  दूर रहना पसंद करती है. 

जंगली मैनाओं का जोड़ा 

दक्षिणी भारत में मिलने वाली कुछ जंगली मैनाओं की आँख की पुतली के गिर्द का हिस्सा नीला होता है जबकि पूर्वी क्षेत्र में मिलने वाली नस्ल में यह अक्सर पीला दिखाई देता है. 

दक्षिण प्रदेश की नीली पुतलियों वाली जंगली मैना 

भारत से बाहर थाईलैंड, ताइवान आदि कई एशियाई देशों में आज भी कुछ लोग घरों में तोते की तरह मैना को पिंजरे में बंद कर रखते हैं. पक्षी प्रेमी चाहते हैं कि इन सब पक्षियों को आज़ाद कर दिया जाए. कितना अच्छा हो अगर दुनिया के सारे बच्चे और बड़े मिलकर फैसला करें कि वे अब से इन निरीह और सुन्दर पक्षियों को मारेंगे या कैद नहीं करेंगे!    

उत्तर भारत के कस्बों और कभी कभी शहरी इलाकों में तुम्हें अक्सर देसी मैना से कुछ छोटे आकर की एक और मैना दिखाई दे जाएगी. यह गंगा मैना या bank myna (acridotheres ginginianus) है. देसी मैना की तरह गंगा मैनाओं के झुण्ड भी अक्सर बाजारों या दुकानों के आसपास भोजन की तलाश में चलते फिरते दिख जायेंगे. गंगा मैना का शरीर राख सा सलेटी दिखता है और चोंच तथा आँख के पीछे के लाल रंग से तुम इसे झट पहचान लोगे.   

तार पर बैठी गंगा मैना 

गंगा मैनाएँ अक्सर नदी के किनारों में छेदों और सूराखों में अपने घोंसले बनाती हैं और इसी आदत के कारण इन्हें अपना यह नाम मिला है.

गंगा मैना का बच्चा

मैनाओं के लिए अंग्रेज़ी में एक और नाम है starling! एशिया में कुछ जातियों को मैना कहा जाता है और कुछ को 'स्टर्लिंग' जबकि यूरोप और अमेरिका में इन्हें ज़्यादातर 'स्टर्लिंग' नाम से ही पुकारा जाता है. लेकिन इन दोनों प्रजातियाँ ही वैज्ञानिक समूह 'sturnidae' के अंतर्गत आती हैं और दोनों में कोई अंतर नहीं है. बल्कि हमारे देश में तो कुछ प्रजातियों का स्थानीय नाम मैना है और अंग्रेजी नाम 'starling', इसलिए इन दोनों को तुम एक ही समझो! 

हमारे जंगलों और उसके आसपास के देहातों में एक और खूबसूरत मैना आम मिलती है जिसका नाम है ब्राह्मणी मैना brahminy starling (Sturnia pagodarum). इसकी काली टोपी के कारण इसे कालासिर मैना भी कहा जाता है. इसका एक और नाम है पुहैया मैना.


कालसिर मैना 

इसके काले सिर को देखकर तुम्हें ऐसा लगेगा जैसे इसने अपने बालों में कंघी फिराई हुई है. इसकी पहचान है आधी पीली, आधी सलेटी-नीली चोंच और इसकी नीली पुतलियों से घिरी तेज़ दिखने वाली आँखें. तुम ज़रूर पूछोगे कि इसे ब्राह्मणी मैना क्यों कहते हैं? इसका कोई ठीक जवाब देना मुश्किल है लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि इसकी छाती का भूरा रंग पंडितों द्वारा चेहरे पर लगाई जानेवाली चन्दन की भभूत से मिलता जुलता है. इस जातिवादी नाम पर कुछ लोगों को ऐतराज़ भी है. सो हम अगर इसे कालासिर मैना ही कहें तो ठीक होगा. 

हमारे प्रदेश के मैदानों में एक और काली सफ़ेद मैना तुम्हें अक्सर दिख जाएगी. यह है अबलक मैना asian pied starling (Gracupica contra) जो घरों के आसपास तो नहीं दिखती लेकिन खुले मैदानों और बगीचों में यह पूरे दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों में आम दिखती है.

अबलक मैना 

इसकी पहचान है इसका काला सफ़ेद शरीर और चोंच एवं आँखों के गिर्द पीला-नारंगी रंग. यह कई बार खेतों में दूसरी मैनाओं और पक्षियों के साथ जोड़ों या झुंडों में दिखाई देती है.

हमने अब तक जिन मैनाओं के बारे में तुम्हें बताया, वे सारा साल देश में ही रहती हैं. लेकिन दो मैनाएँ ऐसी हैं जो तुम्हें सिर्फ सितम्बर और मार्च के बीच ही भारत में दिखाई देंगी क्योंकि वे सिर्फ सर्दियां बिताने के लिए विदेशों से हमारे यहाँ आती हैं. ये हैं तिल्यर और गुलाबी मैनाएँ!

तिल्यर मैना common starling (Sturnus vulgaris)

काले शरीर पर सफ़ेद चकत्तों और लम्बी चोंच वाली तिल्यर मैना (common starling) योरोप में  आम पायी जाती है. वहाँ जब सर्दियां शुरू होती हैं तो यह भारत जैसे अपेक्षाकृत गर्म देशों का रुख लेती है. फिर यहाँ गर्मियों का मौसम शुरू होते ही यह वापस अपने ठन्डे देशों में लौट जाती है. पक्षियों की इन लम्बी यात्राओं के बारे में हम तुम्हें पहले बता चुके हैं. 

गुलाबी मैनाओं का जोड़ा 

काले चमकदार सिर एवं डैनों, हल्के गुलाबी शरीर और हलके नारंगी पैरों और चोंच वाली गुलाबी मैना भी योरोप की निवासी है. वहां से सर्दियों में हमारे देश आने वाली गुलाबी मैनाओं rosy starling (Sturnus roseus) के बड़े-बड़े झुण्ड सर्दी के मौसम में तुम्हें अक्सर पेड़ों और बिजली की तारों पर बैठे दिख जायेंगे. फिर शाम के समय जब ये एक साथ उड़ती हैं तो ये जैसे सारे आकाश को ढक लेती हैं. इनकी इस सामूहिक उड़ान में कभी कभी सुन्दर लय सी मिलेगी. 

तो यह हुई आसपास दिखने वाली परिचित मैनाओं की कथा! लेकिन मैनाओं की कहानी यहीं समाप्त नहीं होती. अगली बार तुम्हें जंगलों में रहने और देश-विदेश में पायी जाने वाली दूसरी मैनाओं के बारे में बताएँगे!
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जितेन्द्र भाटिया 

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4 comments:

  1. Maina ka Tote se Sach me koi Mel hai Kya ,Plz agar pta ho to btaiye

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  2. तोता और मैना अलग अलग प्रजातियों के पक्षी हैं और दोनों में कोई सम्बन्ध नहीं है और न ही ये साथ साथ रहते हैं. तोता पेड़ों पर रहता है और मैना मुख्यतः घरेलू पक्षी है. लेकिन हमारी कहानियों में तोते को पुरुष और मैना को स्त्री मानकर दोनों के बीच अक्सर प्यार दिखाया जाता है. इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

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  3. क्या ब्राह्मणी मैना को पाला जा सकता है,इनको आवाज सिखाई जा सकती है?

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