Friday, March 17, 2017

(Part 10) कुछ और रिश्तेदार कौओं के! (some more members of the crow family)

बच्चों की एक हिंदी विज्ञान पत्रिका के लिए मैं पक्षियों पर एक श्रृंखला कर रहा हूँ. मित्रों और बहुत से बच्चों का आग्रह था कि इसे 'ब्लॉग' का रूप भी दिया जाए. इसी की पूर्ति में प्रस्तुत है पक्षियों की अनोखी दुनिया की यह दसवीं कड़ी जो शायद बच्चों के अलावा बड़ों को भी पसंद आये!
जितेन्द्र भाटिया

कुछ और रिश्तेदार कौए  के ....... 

अब तक तुम कौए परिवार के जिन सदस्यों से मिले उनमें से अधिकाँश काले थे! आओ अब इस परिवार के कुछ अनूठे रंग बिरंगे सम्बन्धियों से मिलते चलें. अलग अलग रंगों के होने के बावजूद इन सब में तुम्हें कौओं के सारे गुण मिल जाएंगे. कौओं की तरह भले ही ये 'कांव-कांव' न करते हों, लेकिन फिर भी इनका स्वर रूखा और कर्कश होता है. और इनमें से कुछ तो अपने गले से कई तरह की अलग अलग आवाजें भी निकाल सकते है. इनमें से अधिकाँश जंगलों के निवासी हैं, लेकिन कुछ को भोजन की तलाश में बस्तियों के नज़दीक भी देखा जा सकता है. ये परिवार हैं तरुपिक (treepies), लंबपूंछिया (magpies) और बनसर्रे (jays). 

तरुपिकों के परिवार का सबसे परिचित सदस्य है लाल तरुपिक (Rufous Treepie) जिसे तुम अक्सर आस पास के बगीचों और वनों में देख सकते हो.  
लाल तरुपिक (Rufous Treepie) (Dendrocitta vagabunda) 
इसकी ख़ास पहचान है इसका दालचीनी तथा सलेटी रंग, लम्बी पूँछ और गले से निकलने वाली अलग अलग आवाजें. कौओं की तरह तरुपिक भी काफी दबंग होता है  और भोजन के लालच में यह अक्सर घरों के आसपास भी आ जाता है, हालाँकि इसका अधिकाँश समय पेड़ों पर ही गुज़रता है. अगर तुम रणथम्भोर या किसी दूसरे अभयारण्य की सैर पर जाओ तो हो सकता है लाल तरुपिक भोजन की तलाश में तुम्हारी जीप तक आ जाए!  
सफ़ारी जीप के भीतर लाल तरुपिक!


सफ़ेद छाती तरुपिक 
पूरी दुनिया में तरुपिक की कुल ग्यारह प्रजातियाँ हैं और इनमें से लगभग आधी हमारे भारतीय जंगलों में पायी जाती हैं. दक्षिणी भारत के जंगलों में लाल तरुपिक से काफी मिलता जुलता सफ़ेद छाती तरुपिक (White Bellied Treepie) (Dendrocitta leucogastra) मिलता है जो चेहरे और पंखों को छोड़कर सफ़ेद होता है. और इसी तरुपिक का एक और भाई पहाड़ों में दिखाई देता है--सलेटी तरुपिक (Grey Treepie) (Dendrocitta formosae) जो सफ़ेद की जगह सलेटी होता है. लेकिन इन अलग अलग रंगों के अलावा  ये सारे तरुपिक अपनी लम्बी पूंछ से लेकर काले चेहरे तक लगभग एक जैसे ही होते हैं! 


लद्दाख में भेड़ की सवारी करती काली चोंच लंबपूंछिया
योरोप के जंगलों और घरों के आसपास कौए से बड़े  आकाrर की एक और काली-सफ़ेद चिड़िया अक्सर कचरे के ढेर के आसपास भोजन तलाशती मिल जायेगी. यह काली चोंच वाली लम्बपूंछिया (Black Billed Magpie) (Pica pica) है जो हमारे पहाड़ों में भी नौ हज़ार फीट से अधिक की ऊंचाई पर अक्सर दिख जायेगी. इसकी आवाज़ भी कौए जैसी ही कर्कश होती है. इसके पंखों पर तुम्हें नीला रंग दिखेगा और देखने में यह कौए से कहीं अधिक सुन्दर होती है. लेकिन इससे भी अधिक सुंदर होती है---
काली चोंच लंबपूंछिया 


कम ऊँचाई वाले पहाड़ों में रहने वाली लाल और पीली चोंच वाली नीली लंबपूंछिया (Red and Yellow Billed Blue Magpies)(Uricissa erythrohyncha) और flavirostris)जो सुबह और शाम के समय अक्सर पहाड़ी आंगनों में भोजन तलाशती और शोर मचाती नज़र आती हैं. 

पीली और लाल चोंच वाली नीली लंबपूंछिया लगभग एक जैसी होती हैं लेकिन इन्हें अलग अलग पक्षी माना गया है.
लाल चोंच वाली नीली लंबपूंछिया का जोड़ा  


लेकिन निस्संदेह नीली लंबपूंछियों के परिवार की सबसे शानदार चिड़िया है श्रीलंका में मिलने वाली श्रीलंका नीली लंबपूंछिया जिसे इस देश के राष्ट्रीय पक्षी होने का गौरव भी हासिल है.  यह श्रीलंका के बाहर कहीं नहीं मिलती.
श्रीलंका नीली लंबपूंछिया (Srilanka Blue Magpie)(Urocissa ornata)
यदि कौए परिवार के इन रंगबिरंगे पक्षियों से तुम्हारा दिल न भरा हो तो तुम्हें मिलाते हैं सुदूर उत्तर पूर्व में पायी जाने वाली हरी लंबपूंछिया (Common Green Magpie)(Cissa chinensis chinensis) जिसका चटक रंग और लिपस्टिक को मात देती लाल चोंच देखते ही बनती है.
हरी लंबपूंछिया 
एशिया के कई देशों में लंबपूंछिया की कई और प्रजातियाँ भी मिलती हैं. इनमें से अधिकाँश काली या काले सफ़ेद रंग की कौए के स्वभाव से मिलती जुलती हैं. 

इनके साथ ही पहाड़ों पर फैले वनों में कौए की ही जाति  के दो बनसर्रे (Jays) भी मिलते हैं. ये स्वभाव में लंबपूंछियों से काफी मिलते जुलते हैं लेकिन इनकी पूंछ उतनी लम्बी नहीं होती. 
यूरेशियन बन्सर्रा (Eurasian Jay)(Garrulus glandarius)
 काला सिर बन्सर्रा (Black Headed Ray)(Garrulus lanceolatus) भी हिमालय की उन्हीं तराइयों में आम देखा जा सकता है, बांज के वनों में शाहबलूत या बांज के फल इसका प्रिय भोजन है. 
काला सिर बन्सर्रा (Black Headed Jay)
हिमालय की तराइयों में तुम्हें ये दोनों बनसर्रे आसानी से मिल जाएंगे.

उम्मीद है कि इन सारी तस्वीरों की कहानी जान चुकने के बाद तुम अब यह तो नहीं कहोगे कि सब कौए काले होते हैं. कौए के इस बड़े परिवार में तुम्हें हर रंग के सदस्य मिल जाएंगे. वैज्ञानिकों का मानना है कि हज़ारों लाखों साल पहले कौओं के इस परिवार का सूत्रपात किसी एक पक्षी से हुआ होगा और समय के साथ इसके इन सारे वंशजों का विकास धीरे धीरे हुआ होगा. तो पक्षी संसार के सबसे बुद्धिमान परिवार कौए की कहानी हम यहीं समाप्त करते हैं!                                                                                      ***


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Sunday, February 19, 2017

(Part 9) पूरी बिरादरी कौओं की ...(The Family of Crows)

लद्दाख में दुनिया के सबसे बड़े उत्तरी काले कौओं (Northern Ravens) (Corvus corax)का एक झुण्ड!

बच्चों की एक हिंदी विज्ञान पत्रिका के लिए मैं पक्षियों पर एक श्रृंखला कर रहा हूँ. मित्रों और बहुत से बच्चों का आग्रह था कि इसे 'ब्लॉग' का रूप भी दिया जाए. इसी की पूर्ति में प्रस्तुत है पक्षियों की अनोखी दुनिया की यह नवीं कड़ी जो शायद बच्चों के अलावा बड़ों को भी पसंद आये!

जितेन्द्र भाटिया

पूरी बिरादरी कौओं की ....... 

क्या तुम कौओं की 'कांव-कांव' के बगैर जीवन के बारे में सोच भी सकते हो? शायद नहीं !  वे हर जगह हैं. गाँव और शहर में, जंगल या पहाड़ में और जहाँ इंसान नहीं हैं, वहां भी तुम्हें कौओं के झुण्ड मिल जाएंगे. हमारे साथ रहते रहते वे हमारे स्वभाव को भी अच्छी तरह जान गए हैं. कितनी फुर्ती से वे हमारे हाथ की रोटी छीन या चुरा ले जाते हैं. खुले में खाने का सामान देखते ही कैसे वे अक्सर अपने साथियों को बुला लाते हैं. और आकाश में अपने से बड़ा कोई शिकारी पक्षी या बाज़ दिखते ही वे कैसे शोर मचा और भगा भगाकर उसे उड़ा देते हैं! क्या तुम जानते हो कि पक्षियों में कौआ सबसे अधिक बुद्धिमान है? तुमने पानी के बर्तन में कंकड़ डालकर जल के ताल को उठाकर पानी पीने वाले प्यासे कौए की कथा तो ज़रूर सुनी होगी. सूखी रोटी को नर्म बनाने के लिए कौए कई बार उसे पानी में डुबोकर खाते देखे गए हैं. वैज्ञानिकों ने और भी कई परीक्षणों से कौए की समझदारी परखी है और उन्हें पक्षियों में सबसे बुद्धिमान पाया है.
भारतीय जंगली कौआ (Eastern Jungle Crow)(Corvus culminatus)
तो आओ इस बार हम तुम्हें इस चतुर पक्षी के पूरे परिवार और इसके अलग अलग सदस्यों से मिलवायें. वैज्ञानिक शब्दावली में corvidae नाम से जाने वाले कौए के परिवार में एक सौ बीस से अधिक प्रजातियाँ हैं और हमारे आसपास दिखने वाला घरेलू कौआ उनमें से सिर्फ एक है. लेकिन इस परिवार के सभी सदस्यों में तुम्हें कई समानताएं मिलेंगी. लम्बी सीधी चोंच, लम्बे पैर और चोंच के पीछे के हिस्से में रोंयेदार गुच्छा. कौए सभी अच्छे उड़ाकू होते हैं और ये अक्सर कांव कांव के अलावा कई दूसरी आवाजें भी निकालते हैं. ये अक्सर झुंडों में रहते हैं और स्वभाव से ये जिज्ञासु और हर स्थिति में जी सकने वाले होते हैं.   

क्या सभी कौए काले होते हैं? नहीं. हम पहले ही बता चुके हैं कि बहुत से कौए काले-सफ़ेद भी होते हैं. और इस प्रजाति के कई दूसरे सदस्य तो अन्य रंगों के और रंग बिरंगे भी होते हैं. 

कौए पूरी दुनिया में फैले हुए हैं लेकिन seychelles जैसे कुछ द्वीप समूह हैं जहाँ कौए नहीं हैं और इन द्वीपों को अब जानबूझकर कौओं से दूर रक्खा जाता है क्योंकि इनके यहाँ आने से अन्य निवासी पक्षियों का संतुलन बिगड़ सकता है.
रेगिस्तानोंं का बड़ा कौआ (Punjab Raven)(Corax subcorax )




घरेलू कौए के अलावा बड़ी चोंच वाले,काले सफ़ेद और पहाड़ी कौओं (house crow, large billed crow, hooded crow, northern and punjab ravens) के बारे में हम तुम्हें पहले बता चुके हैं (देखिए इसी लेखमाला का भाग 2).


आओ अब इस परिवार के कुछ और  सदस्यों  से  तुम्हें मिलवाते हैं! 

कश्मीर और लद्दाख की सुदूर पहाड़ियों में एक छोटे आकार का कौआ काविन (eurasian jackdaw)(Corvus monedula) मिलता है जिसकी आँखों की पुतली सफ़ेद होती है और जो कौए के कर्कश स्वर की जगह पतली आवाज़ में मिमियाता सा प्रतीत होता है. नीचे दिया काविन का चित्र स्वीडन का है. 
काविन (Eurasian Jackdaw)
मार्जक (carrion crow)
इसी प्रदेश में पहाड़ी कौए से कुछ छोटा 'मार्जक' (carrion crow) (Corvus carone)  भी मिलता है जिसकी चोंच कुछ छोटी होती है. ये दोनों कौए योरोप के ठन्डे प्रदेशों में आम पाए जाते हैं. ठंडी सर्दियों में यहाँ योरोप से एक तीसरा कौआ 'कपटी' (rook)(Corvus frugilegus) भी कभी कभी आता है जिसकी चोंच का पिछला हिस्सा कुछ सफ़ेद होता है.  लेकिन ये सब ठन्डे प्रदेश के कौए हमारे मैदानों में कम ही दिखते हैं. काविन, मार्जक और कपटी, ये तीनों झुंडों में रहते हैं. चमकदार चीज़ों को ये कई बार चुराकर अपने घोंसलों में ले आते हैं.जहाँ लोगों को कई बार अपनी खोई हुई अंगूठियाँ  तक मिली हैं! ये बेहद समझदार होते हैं और दूसरे पक्षियों के अण्डों को तोड़कर खाने के लिए ये अक्सर पत्थरों और लकड़ी के टुकड़ों का प्रयोग करते देखे गए हैं.

कपटी कौआ (Rook)

हवा में उड़ता पील चोंच कर्णभेदी (Alpine Chough)


पहाड़ों की घाटियों में कई बार तुम्हें सीटियों जैसी 'स्विइऊ-स्विइऊ' की तीखी आवाजें  दूर तक सुनाई देंगी. यह कौओं की प्रजाति का एक और सदस्य कर्णभेदी (chough) है! इन घाटियों में एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी तक इसकी सीटियाँ और कलाबाज़ उड़ानें देखते ही बनती हैं. इसकी दो प्रजातियाँ हिमालय और दूसरे पहाड़ों में मिलती हैं-- लाल चोंच कर्णभेदी (red billed chough)(Pyrrhocorax pyrrhocorax) और पील चोंच कर्णभेदी (yellow billed or alpine chough)( Pyrrhocorax graculus).
पील चोंच कर्णभेदी (Alpine Chough)
 जैसा कि इनके नामों से ज़ाहिर है, इनमें से एक की चोंच लाल और दूसरे की पीली होती है. लेकिन पैर दोनों के लाल होते हैं. ये पक्षी जोड़ों में रहते हैं और पहाड़ों की सीधी चट्टानों पर अपना घोंसला बनाते हैं. 
चट्टानों के बीच लाल चोंच कर्णभेदी का घोंसला 
हिमालय की ऊंची पहाड़ियों में कौओं की प्रजाति का एक और अनोखा पक्षी मिलता है--चितली अखरोटफोड़ा (spotted nutcracker) जिसका मुख्य भोजन है देवदार वृक्ष के बीज. इसके अलावा यह कीड़े भी खाता है. इसकी नुकीली चोंच देवदार की तहों से बीज निकालने और उन्हें तोड़ने के काम आती है. 
चितला अखरोटफोड़ा (spotted nutcracker)
अखरोटफोड़ा सर्दियों के लिए एक बार में तीस हज़ार या इससे भी अधिक देवदार के बीज बचाकर रखता है. अपने इस काम से यह पर्यावरण की रक्षा भी करता है. कहा जाता है कि जंगलों की आग और मनुष्य द्वारा नष्ट किये देवदार के हज़ारों पेड़ इस पक्षी द्वारा इकट्ठे किये बीजों से दुबारा उग आते हैं! 
कौओं की बिरादरी यहीं समाप्त नहीं होती! अगली बार तुम्हारा परिचय इस परिवार के कुछ अन्य रंगीन सदस्यों से होगा! 
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